अर्ली ब्रेस्ट कैंसर में एंडोक्राइन थेरेपी से ज़्यादा कारगर इलाज की खोज
अर्ली ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित कई लोगों को हॉर्मोन थेरेपी (जिसे एंडोक्राइन थेरेपी भी कहा जाता है) दी जाती है, ताकि उनके कैंसर के वापस आने की संभावनाओं को कम किया जा सके। CAMBRIA-2 अध्ययन, एक वैकल्पिक हॉर्मोन थेरेपी पर विचार कर रहा है। इसके लिए जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा की तुलना, देखभाल करने के मौजूदा स्टैंडर्ड विकल्पों से की जा रही है। CAMBRIA-2 अध्ययन को AstraZeneca फ़ंड करता है।
ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जानकारी
ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्रेस्ट में मौजूद कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं। ब्रेस्ट कैंसर कई तरह के होते हैं। CAMBRIA-2 अध्ययन के लिए ER+/HER2- अर्ली ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित लोगों की तलाश की जा रही है। अर्ली ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित कई लोगों को हॉर्मोन थेरेपी (जिसे एंडोक्राइन थेरेपी भी कहा जाता है) दी जाती है, ताकि उनके कैंसर के वापस आने की संभावनाओं को कम किया जा सके।
CAMBRIA-2 अध्ययन, एक वैकल्पिक हॉर्मोन थेरेपी पर विचार कर रहा है। इसके लिए जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा की तुलना, देखभाल करने के मौजूदा स्टैंडर्ड विकल्पों से की जा रही है। अर्ली ब्रेस्ट कैंसर वह स्टेज है जिसमें ट्यूमर ब्रेस्ट और आसपास के लिम्फ़ नोड्स तक सीमित रहता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला होता है।
ER+/HER2- ब्रेस्ट कैंसर, सबसे आम तरह का ब्रेस्ट कैंसर है; यह ऐस्ट्रोजन रिसेप्टर्स (ER+) को ओवरएक्सप्रेस करता है, लेकिन HER2 रिसेप्टर (HER2-) को नहीं।
CAMBRIA-2 अध्ययन के बारे में जानकारी
इस अध्ययन का लक्ष्य, जांच के तौर पर इस्तेमाल की जी रही एक ऐसी दवा के बारे में ज़्यादा जानना है जिसे फ़िलहाल किसी भी स्वास्थ्य प्राधिकरण से मान्यता नहीं मिली है और इसे सिर्फ़ CAMBRIA-2 जैसे शोध अध्ययनों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
हम यह देखना चाहते हैं कि क्या जांच के तौर पर इस्तेमाल की जी रही दवा की मदद से की जाने वाली एंडोक्राइन थेरेपी, मौजूदा मानक हॉर्मोन थेरेपी की तुलना में कैंसर के फिर से शुरू होने की प्रक्रिया को रोकने में बेहतर है या नहीं। हम ब्रेस्ट कैंसर के हर एक पहलू और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को भी बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं।
इस अध्ययन में कौन भाग ले सकता है?
आपकी उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए।
आपका ER+/HER2- अर्ली ब्रेस्ट कैंसर का उपचार हुआ हो, लेकिन उसमें मेटास्टेसिस (कैंसर स्टेज I से III) शामिल न हो।
ट्यूमर हटाने के लिए की गई सर्जरी को हुए 12 महीने से कम समय हुआ हो।
आपके आखिरी नियो-एडजुवेंट कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी उपचार को पूरा हुए 12 सप्ताह से ज़्यादा का समय न हुआ हो (अगर यह उपचार हुआ हो)।
हॉर्मोन थेरेपी शुरू न हुई हो या इसे शुरू हुए 12 सप्ताह से ज़्यादा समय न हुआ हो।
अध्ययन के लिए ज़रूरी दवाएं, परीक्षण और अध्ययन से जुड़ी विज़िट के लिए, आपको कोई शुल्क नहीं देना होगा। इसके अलावा, अध्ययन से जुड़ी यात्रा में हुए खर्चों के लिए पैसे वापस किए जा सकते हैं।
अध्ययन से जुड़ी अहम जानकारी
स्वास्थ्य की स्थिति
ER+/HER2- अर्ली ब्रेस्ट कैंसर।
अध्ययन की अवधि
इसमें करीब 10 से 14 साल का समय लग सकता है। इसमें इलाज की 7 सालों तक की अवधि और उसके बाद, अध्ययन में आखिरी व्यक्ति के शामिल होने के बाद से लेकर अगले 10 सालों तक की फ़ॉलो अप अवधि।
अध्ययन की जगह
यह एक वैश्विक अध्ययन है जिसमें उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, एशिया-पैसिफ़िक और ऑस्ट्रेलिया के प्रतिभागी हिस्सा लेंगे।
यह अध्ययन का तीसरा चरण है
जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा करीब 5,500 लोगों को दी जाएगी। शोधकर्ता इस दवा की प्रभावशीलता की पुष्टि करने, इससे होने वाले दुष्प्रभावों की निगरानी करने, आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उपचारों से इसकी तुलना करने और जानकारी इकट्ठा करने जैसे अलग-अलग मुद्दों पर काम कर रहे हैं। इससे जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा या उपचार को सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
अध्ययन में हिस्सा लेने का क्या मतलब है?
नीचे दिए गए डायग्राम के अनुसार अध्ययन में तीन हिस्से हैं: 28 दिनों तक की स्क्रीनिंग अवधि; 7 सालों की उपचार अवधि; और अध्ययन में आखिरी व्यक्ति के शामिल होने के बाद से लेकर अगले 10 सालों तक फ़ॉलो अप अवधि, जिसमें आपके स्वास्थ्य की स्थिति की जांच की जाएगी। इसका मतलब है कि आप 10 से 14 सालों तक अध्ययन का हिस्सा रह सकते हैं। आप किसी भी समय अध्ययन से अपना नाम वापस ले सकते हैं।
स्क्रीनिंग की अवधि
अगर आप अध्ययन में भाग लेते हैं, तो आपको बहुत सारे परीक्षणों से गुजरना होगा। इसके लिए आपको अध्ययन डॉक्टर या अन्य विशेषज्ञों के पास कई बार विज़िट करनी पड़ सकती है, ताकि यह पुष्टि हो सके कि आप अध्ययन की ज़रूरी शर्तें पूरी करते हैं या नहीं। इस पूरी प्रक्रिया को स्क्रीनिंग कहा जाता है और इन परीक्षणों को करने की कुल समय सीमा 28 दिनों तक की है। ज़रूरत के हिसाब से, अध्ययन डॉक्टर स्क्रीनिंग से पहले उपलब्ध आकलन और नमूनों का इस्तेमाल करेंगे।
अगर आप स्क्रीनिंग की ज़रूरी शर्तें पूरी करते हैं, तो आपको दो में से किसी एक समूह में रैंडम तरीके से शामिल किया जाएगा। इसमें आपको मौखिक रूप से ली जाने वाली अध्ययन दवा A को रोज़ाना एक बार लेना होगा या फिर आपको मानक एंडोक्राइन थेरेपी (ईटी) दी जाएगी जिसे रोज़ाना एक बार मौखिक रूप से लेना होगा। रैंडम तरीके से शामिल करने का मतलब है कि आपको दोनों में से जो भी उपचार दिया जाएगा, वह चांस पर निर्भर करेगा। जैसे, सिक्का उछालकर या टोपी से नाम निकालकर फ़ैसला करना। आपको दोनों में से कोई भी एक उपचार दिए जाने की संभावना 50% है। अध्ययन दवा A या मानक ईटी के अलावा, आपको अपने उपचार के पहले 2 सालों तक, अध्ययन दवा B नाम की एक अतिरिक्त दवा भी दी जा सकती है।
उपचार की अवधि – 7 सालों तक
इस अध्ययन की उपचार अवधि 7 साल है। इस दौरान, आपको अध्ययन की जगह पर विज़िट करना होगा और आपसे टेलीफ़ोन के ज़रिए संपर्क किया जाएगा।
फ़ॉलो अप अवधि शुरू करने से पहले, आपको दो अंतिम विज़िट करनी होगी- उपचार के खत्म होने पर विज़िट और सेफ़्टी फ़ॉलो-अप विज़िट। उपचार के खत्म होने पर विज़िट का मतलब है वह समय, जब आपने अध्ययन से जुड़ा उपचार लेना बंद कर दिया है और सेफ़्टी फ़ॉलो-अप विज़िट, उपचार के खत्म होने पर की गई विज़िट के करीब 1 महीने बाद होगी।
फ़ॉलो-अप का समय – साल में एक बार
फ़ॉलो-अप अवधि के दौरान, आपके स्वास्थ्य की स्थिति की जांच के लिए हर साल आपका फ़ॉलो-अप किया जाएगा और साल में एक बार आपको विज़िट करना होगा। ये फ़ॉलो-अप विज़िट टेलीफ़ोन/वीडियो के ज़रिए या ऑनसाइट पर जाकर हो सकते हैं और अध्ययन में आखिरी व्यक्ति के शामिल होने के समय से लेकर अगले 10 साल तक जारी रहेंगे।
इसके संभावित फ़ायदे और जोखिम क्या हैं?
CAMBRIA-2 अध्ययन में भाग लेने पर, फ़ायदा मिलने की कोई गारंटी नहीं है। हालांकि, आपकी भागीदारी से यह तय करने में मदद मिलेगी कि अर्ली ER+/HER2- ब्रेस्ट कैंसर के मरीज़, जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा को सहन कर पाते हैं या नहीं और यह दवा कारगर है या नहीं। इससे भविष्य में मरीजों के लिए वैकल्पिक चिकित्सा विकल्प देने में मदद मिलेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्लिनिकल स्टडी क्या है?
क्लिनिकल स्टडी में यह मूल्यांकन किया जाता है कि क्या कोई दवा, उपचार या डिवाइस सहने लायक है या नहीं और वह इंसानों के लिए कितना कारगर है। क्लिनिकल स्टडीज़, वैज्ञानिक अध्ययन हैं जिनमें जांच के तौर पर इस्तेमाल की जा रही दवाओं और उपचारों का नियंत्रित तरीके से परीक्षण किया जाता है, ताकि यह पक्का किया जा सके कि उन्हें सहन किया जा सकता है और वे उन लोगों के लिए कारगर हैं जिन्हें उनकी ज़रूरत है। ये चरण, किसी बीमारी की संभावित दवाएं बनाने में सबसे ज़रूरी कदमों में से एक हैं।
क्लिनिकल रिसर्च क्यों ज़रूरी है?
क्लिनिकल रिसर्च से चिकित्सा ज्ञान बढ़ता है और बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए संभावित दवाएं बनाने में मदद मिलती है। संभावित दवाओं को आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने से पहले, उन्हें क्लिनिकल रिसर्च में अध्ययन करने की ज़रूरत होती है। क्लिनिकल स्टडी की सफलता, वॉलंटियर्स की भागीदारी पर निर्भर करती है। जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली किसी दवा को आम लोगों तक पहुंचने में, औसतन 8 साल तक का समय लग सकता है। सभी जांच चिकित्सा उपचार और दवाओं को क्लिनिकल स्टडी से गुज़रना पड़ता है, ताकि यह पक्का किया जा सके कि मरीज इन्हें सहन कर सकते हैं और ये कारगर हैं।
क्लिनिकल स्टडी को कौन करता है?
क्लिनिकल स्टडी को अक्सर एक वैश्विक टीम पूरा करती है और इसे फ़ार्मास्यूटिकल कंपनियां, अकादमिक चिकित्सा केंद्र, स्वयंसेवी समूह या स्वास्थ्य सेवा देने वाले लोग या कंपनियां प्रायोजित कर सकती हैं या फ़ंड दे सकती हैं। इस क्लिनिकल स्टडी का नेतृत्व एक प्रधान अन्वेषक ने किया है, जो एक डॉक्टर हैं। रिसर्च टीम में, डॉक्टर, नर्स, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वास्थ्य की देखभाल क्षेत्र से जुड़े अन्य पेशेवर लोग शामिल हो सकते हैं।
क्लिनिकल रिसर्च में कितने चरण होते हैं?
चरण I
इन अध्ययनों को इंसानों पर किया जाता है और इनमें प्रतिभागियों की संख्या कम होती है। इनका मुख्य उद्देश्य ये जांच करना होता है:
- अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा कितनी सुरक्षित है
- अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा को शरीर कैसे अवशोषित करता है और इसकी कितनी खुराक दी जानी चाहिए
- अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा शरीर से कैसे निकाली जाती है
- संभावित दुष्प्रभाव
चरण II
करीब 100 से 300 प्रतिभागियों के साथ किए जाने वाले छोटे-छोटे अध्ययन। इनका मुख्य उद्देश्य ये जांच करना होता है:
- अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा कितनी सुरक्षित है
- क्या अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा किसी खास बीमारी में काम करती है
- अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा की संभावित खुराक क्या होनी चाहिए
चरण III
करीब 500 या इससे ज़्यादा प्रतिभागियों के साथ किए जाने वाले बड़े अध्ययन। स्वास्थ्य अधिकारियों की तरफ़ से मिलने वाली अंतिम मान्यता के लिए किए जाने वाले ये मुख्य अध्ययन हैं। इनका मुख्य उद्देश्य ये जांच करना होता है:
- बड़ी आबादी में इस्तेमाल करने पर वह कितनी सुरक्षित है और इसका क्या दुष्प्रभाव है
- क्या अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा किसी खास बीमारी में काम करती है
- मौजूदा उपचार थेरेपी की तुलना में अध्ययन में इस्तेमाल हुआ उपचार कितना कारगर है
चरण IV
अध्ययन में इस्तेमाल की गई दवा को नियामक अधिकारियों की ओर से लिखित सुझाव के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी मिलने के बाद, मरीज़ों में किए जाने वाले बड़े अध्ययन। इनका मुख्य उद्देश्य ये जांच करना होता है:
- लोगों पर दवा के रोज़ाना इस्तेमाल के दौरान दुष्प्रभाव
- लंबी अवधि तक इस्तेमाल के दौरान, दवा से जुड़े जोखिम और फ़ायदे
अध्ययन में हिस्सा लेने का क्या मतलब है?
किसी अध्ययन में भाग लेने से पहले, आपको सूचित सहमति दस्तावेज़ को पढ़ने और उस पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जाएगा। इससे यह पक्का करने में मदद मिलेगी कि:
- आप अध्ययन के बारे में जानते हैं। इसमें अध्ययन की प्रक्रियाएं और अध्ययन में इस्तेमाल की जाने वाली दवा के जोखिम और संभावित दुष्प्रभाव शामिल हैं।
- आपने अध्ययन में हिस्सा लेने के लिए अपनी मर्ज़ी से सहमति दी है।
- आप समझते हैं कि आप किसी भी समय, किसी भी वजह से अध्ययन से अपना नाम वापस ले सकते हैं।
सहमति प्रक्रिया के दौरान, आप अध्ययन साइट के स्टाफ़ से कोई भी सवाल पूछ सकते हैं। क्लिनिकल स्टडी में आम तौर पर यह तय करने के लिए परीक्षण किया जाता है कि आप अध्ययन में भाग ले सकते हैं या नहीं। अगर आप सभी ज़रूरी शर्तें पूरी करते हैं, तो जांच के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा लेने, परीक्षण करवाने या प्रक्रियाओं से गुज़रने और अपनी बीमारी का आकलन करने के लिए आपको नियमित रूप से क्लिनिक विज़िट करना होगा। स्टडी से जुड़े स्टाफ़ आपकी प्रोग्रेस और स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे।